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9 June 2023

9541 - 9545 तस्वीर फ़ुर्क़त तस्कीन आरज़ू तड़प बेचैन ख़मोशी शायरी

 
9541
आपने तस्वीर भेज़ी मैंने,
देख़ी ग़ौरसे...
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीक़ी अदा अच्छी नहीं...
                         ज़लील मानिक़पूरी

9542
ख़मोशी दिलक़ो हैं,
फ़ुर्क़तमें दिन रात l
घड़ी रहती हैं,
ये आठों पहर बंद ll
लाला माधव राम जौहर

9543
ख़मोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं l
तड़प दिल तड़पनेसे ज़रा,
तस्कीन होती हैं....... ll
                         शाद अज़ीमाबादी

9544
ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी,
आरज़ू क़ितनी,
क़ि ज़िसने ज़ैसा चाहा,
वैसा अफ़्साना बना डाला...ll
आरज़ू लख़नवी

9545
उसे बेचैन क़र,
ज़ाऊँगा मैं भी...
ख़मोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा,
मैं भी.......
                    अमीर क़ज़लबाश