तू हैं गर बारिशमें तर,
तो नम नमसा दामन इधर भी हैं...
वहाँ बरस रही हैं घटा,
तो अश्कोका सावन इधर भी हैं...!
6017
दुआए कुछ ऐसे कबूल
हो जाय...
भीगती रहूँ मैं और,
मोहब्बत तुजे हो
जाय...!
6018
याद आई वो पहली बारिश,
जब तुझे एक नज़र देखा था...
नासिर काज़मी
6019
और बाज़ारसे क्या
ले जाऊँ...
पहली बारिशका मज़ा
ले जाऊँ...!
मोहम्मद अल्वी
धूपने गुज़ारिश की,
एक बूँद बारिशकी...!
मोहम्मद अल्वी