13 June 2020

6016 - 6020 दामन कबूल नज़र अश्क मोहब्बत गुज़ारिश मज़ा कबूल बारिश शायरी


 

6016
तू हैं गर बारिशमें तर,
तो नम नमसा दामन इधर भी हैं...
वहाँ बरस रही हैं घटा,
तो अश्कोका सावन इधर भी हैं...!

6017
दुआए कुछ ऐसे कबूल हो जाय...
भीगती रहूँ मैं और,
मोहब्बत तुजे हो जाय...!

6018
याद आई वो पहली बारिश,
जब तुझे एक नज़र देखा था...
                             नासिर काज़मी

6019
और बाज़ारसे क्या ले जाऊँ...
पहली बारिशका मज़ा ले जाऊँ...!
मोहम्मद अल्वी

6020
धूपने गुज़ारिश की,
एक बूँद बारिशकी...!
                     मोहम्मद अल्वी

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