30 June 2020

6101 - 6105 दिल प्यार महोब्बत नाज़ इंतजार सब्र लावारिस बेवफा अल्फाज आशिक़ शायरी


6101
उपर वाला भी,
अपना आशिक हैं...
इसिलीऐ तो किसिका,
होने नहीं देता.......!

6102
प्यार, मोहब्बत, आशिकी...
ये बस अल्फाज थे;
मगर जब तुम मिली...
तब इन अल्फाजोंको,
मायने मिले.......!

6103
इंतजारपर ही टिकी हैं,
ये मोहब्बत...
हर आशिक़को मैने,
सब्र करते देखा हैं...

6104
यूँ लावारिस पडी हैं,
लाश आशिककी...
दुआ करो किसी बेवफाको,
रहम आ जाये.......
मिर्जा ग़ालिब

6105
आशिक़ोंकी ख़स्तगी,
बद-हालीकी पर्वा नहीं...
हुए सरापा नाज़ तूने,
बे-नियाज़ी ख़ूब की...
                    मीर तक़ी मीर

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