1 July 2020

6106 - 6110 दिल कमाल साँस आँसू बहाना याद महोब्बत लुत्फ़ जिन्दगी माशूक़ आशिक़ शायरी


6106
कमाल हैं ना मेरी आशिकी भी...
साँस मेरी, महोब्बत मेरी, जिन्दगी मेरी,
मगर महोब्बत मुक्कमल करने के लिए...
जरुरत तेरी.......!

6107
बे-गिनती बोसे लेंगे,
रुख़-ए-दिल-पसंदके...
आशिक़ तिरे पढ़े नहीं,
इल्म-ए-हिसाबको.......!
हैदर अली आतिश

6108
हर रंगमें रहेंगे हम जिन्दगीमें कायम,
हम आशिकोंका यारों मातम कीजियेगा...
माना की ताजवरको नाकामियोंने मारा,
रोकर वकार उसका यूँ कम की जियेगा...!
                                              ताजवर सांभरी

6109
तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़कातो,
लुत्फ़ रखता था...
मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहें,
बीवी मियाँ होकर.......!
अकबर इलाहाबादी

6110
चुपके चुपके रात दिन,
आँसू बहाना याद हैं...
हमको अब तक आशिक़ीका,
वो ज़माना याद हैं.......
                          हसरत मोहानी

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