12 July 2020

6161 - 6165 जिंदगी प्यार लफ्ज बात अजनबी खमोशी लाजिम यक़ीन उम्र अजनबी शायरी


6161
कोई अजनबी खास,
हो रहा हैं...
लगता हैं आज मूझे फिरसे,
प्यार हो रहा हैं.......!

6162
कभी खमोशीका किस्सा खोल दु,
लफ्ज अभी परदा करते हैं हमसे;
कभी बिती बाते समेट भी लू,
अब सभी अपनोमे हम अजनबीसे...

6163
यक़ीन उनको नही आता,
वज़ाहत हम नही करते l
लगता हैं उम्र सारी गुज़र जाएगी,
यूँ ही अजनबी बनकर ll

6164
जिंदगी अब तो तेरा,
हारना लाजिम होगा...
अजनबी बन गये हैं,
साथ निभाने वाले.......

6165
मैं खुद भी अपने लिए,
अजनबी हूँ...
मुझे गैर कहने वाले,
तेरी बातमें दम हैं.......

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