26 July 2020

6226 - 6230 दिल मोहब्बत मख्मूर शबाब आँख बात जहाँ दुनिया शराब जाम मय शायरी


6226
मख्मूर अपने दिलमें तकब्बुर लाइए,
दुनियामें हर उरूजका एक दिन जवाल हैं l
मचलता होगा इन्हीं गालोंपर शबाब कभी,
उबलती होगी इन्हीं आँखोसे शराब कभी l
मगर अब इनमें वह पहली-सी कोई बात नहीं,
जहाँमें आह किसी चीजकी सबात नहीं ll
                                                अख्तर शीरानी

6227
कोई दिन आगे भी,
ज़ाहिद अजब ज़माना था...
हर इक मोहल्लेकी मस्जिद,
शराब-ख़ाना था.......!
क़ाएम चाँदपुरी

6228
भरा हैं शीशा--दिलको,
नई मोहब्बतसे...
ख़ुदाका घर था जहाँ,
वहाँ शराब-ख़ाना हुआ...!
                     हैदर अली आतिश

6229
दुख़्त-ए-रज़ और,
तू कहाँ मिलती;
खींच लाए,
शराब-ख़ानेसे...!
शरफ़ मुजद्दिदी

6230
मय-कशीमें रखते हैं हम,
मशरब--दुर्द--शराब...
जाम--मय चलता जहाँ,
देखा वहाँपर जम गए.......!

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