17 July 2020

6186 - 6190 दिल वक़्त बे-ख़ुदी बेताब ख़ता शौक़ ख़्वाब तस्वीर होंट क़यामत बोसे शायरी


6186
बे-ख़ुदीमें ले लिया,
बोसा ख़ता कीजे मुआफ़...
ये दिल--बेताबकी सारी ख़ता थी,
मैं था.......
                            बहादुर शाह ज़फ़र

6187
क्या क़यामत हैं कि,
आरिज़ उनके नीले पड़ गए...
हमने तो बोसा लिया था,
ख़्वाबमें तस्वीरका.......

6188
उस लबसे मिल ही जाएगा,
बोसा कभी तो हाँ...
शौक़--फ़ुज़ूल ओ,
जुरअत--रिंदाना चाहिए...
                              मिर्ज़ा ग़ालिब

6189
दिखाके जुम्बिश-ए-लब ही,
तमाम कर हमको...
न दे जो बोसा तो,
मुँहसे कहीं जवाब तो दे.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

6190
उस वक़्त दिलपें क्यूँके,
कहूँ क्या गुज़र गया...
बोसा लेते लिया तो सही,
लेक मर गया.......
                 आबरू शाह मुबारक

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