6221
इंसानके लहूको पियो,
इज़्न-ए-आम हैं;
अंगूरकी शराबका पीना,
हराम हैं ll
6222
चलो एक रिवाज
पलट दूँ,
पहले करूँ निकाह
शराबसे...!
फिर तुम्हारी यादोंको,
तलाक़ दूँ.......!!!
6223
किसी तरह तो घटे,
दिलकी बे-क़रारी भी...
चलो वो चश्म नहीं,
कम से कम शराब तो हो...!
आफ़ताब हुसैन
6224
ख़ुद अपनी मस्ती
हैं,
जिसने मचाई हैं
हलचल...
नशा शराबमें होता तो,
नाचती बोतल.......
आरिफ़ जलाली
6225
फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल,
न पूछिए मजरूह...
शराब एक हैं,
बदले हुए हैं पैमाने.......
मजरूह सुल्तानपुरी
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