5 July 2020

6126 - 6130 दिल देख चाह ख्याल डर हक शाम मोहब्बत खैरियत रौनक जन्नत हकीकत हाल शायरी


6126
बस एक बार ही,
देखा था उनको...
अब मेरा हाल देखने,
लोग आते हैं.......
 
6127
चाहकर भी पूछ नहीं सकते,
हाल उनका...
डर हैं कहीं कह ना दे के,
ये हक तुम्हे किसने दिया ?
 
6128
उन्होने कहा था,
हर शाम हाल पूछा करेंगे;
वो बदल गए हैं, या...
उनके शहरमें शाम नहीं होती.......
 
6129
हाल जब भी पूछो,
खैरियत बताते हो...
लगता हैं,
मोहब्बत छोड़ दी तुमने.......
 
6130
उनको देखेसे जो,
आ जाती हैं मुंहपर रौनक...
वह समझते हैं कि,
बीमारका हाल अच्छा हैं...
हमको मालूम हैं,
जन्नतकी हकीकत, लेकिन...
दिलको खुश रखनेको गालिब,
ये ख्याल अच्छा हैं.......!!!
                             मिर्जा गालिब

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