6121
मेरी आधी फिक्र आधे ग़म तो,
यूँ ही मिट जाते हैं…
जब प्यारसे आप मेरा,
हाल पूछ लेती हैं.......!
6122
कभी हमसे भी,
पूछ लिया करो
हाल-ए-दिल…
कभी हम भी,
ये कह सके
कि दुआ हैं
आपकी...
6123
तुम्हारी यादमें जीनेकी,
आरज़ू हैं अभी...
कुछ अपना हाल सँभालूँ,
अगर इजाजत हो.......!
जौन एलिया
6124
हाल तो पूछ
लू तेरा,
पर डरता हूँ
आवाज़से तेरी;
ज़ब ज़ब सुनी
हैं,
कमबख्त मोहब्बत ही हुई
हैं !!!
6125
बे-नियाज़ी हदसे गुज़री,
बंदा-परवर कब तलक...
हम कहेंगे हाल-ए-दिल,
और आप फ़रमावेंगे क्या...!
मिर्ज़ा ग़ालिब
No comments:
Post a Comment