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मेरी आधी फिक्र आधे ग़म तो,
यूँ ही मिट जाते हैं…
जब प्यारसे आप मेरा,
हाल पूछ लेती हैं.......!
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कभी हमसे भी,
पूछ लिया करो
हाल-ए-दिल…
कभी हम भी,
ये कह सके
कि दुआ हैं
आपकी...
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तुम्हारी यादमें जीनेकी,
आरज़ू हैं अभी...
कुछ अपना हाल सँभालूँ,
अगर इजाजत हो.......!
जौन एलिया
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हाल तो पूछ
लू तेरा,
पर डरता हूँ
आवाज़से तेरी;
ज़ब ज़ब सुनी
हैं,
कमबख्त मोहब्बत ही हुई
हैं !!!
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बे-नियाज़ी हदसे गुज़री,
बंदा-परवर कब तलक...
हम कहेंगे हाल-ए-दिल,
और आप फ़रमावेंगे क्या...!
मिर्ज़ा ग़ालिब