9 July 2020

6146 - 6150 याद उलझन हाल उसूल सजा यादें महसूस प्यार बेपनाह मोहब्बत शायरी


6146
बेपनाह मोहब्बतका,
एक ही उसूल हैं;
मिले या ना मिले,
वो हर हालमें कुबूल हैं ll

6147
बेपनाह मोहब्बतकी,
सजा पाए बैठे हैं...
हासिल ना हुआ कुछ भी,
और सबकुछ लुटाये बैठे हैं...

6148
लिपटकर रह गई उसकी यादें भी,
एक उलझनकी तरह...l
और हम याद करते रहे उसे,
हमेशा बेपनाह मोहब्बतकी तरह...ll

6149
मैने कभी नहीं कहा की,
तू भी मुझे बेपनाह प्यार कर...
बस इतनीसी ख्वाहिश हैं मेरी की,
तू मुझे महसूस तो कर.......!

6150
जब मोहब्बत बेपनाह हो जाए,
तो पनाह कहीं नही मिलती ll

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