23 July 2020

6216 - 6220 दिल जाम वक़्त उम्र आँखें याद बेनक़ाब नशा महफ़िल शबाब शराब मय शायरी


6216
तुम्हारी याद निकलती नहीं,
मिरे दिलसे...
नशा छलकता नहीं हैं,
शराबसे बाहर.......!
                 फ़हीम शनास काज़मी

6217
मुझतक उस महफ़िलमें,
फिर जाम-ए-शराब आनेको हैं;
उम्र-ए-रफ़्ता पलटी आती हैं,
शबाब आनेको हैं.......ll
फ़ानी बदायुनी

6218
सस्ती मेरे शहरमें,
शराब हुई हैं...
जबसे आपकी आँखें,
बेनक़ाब हुई हैं.......!

6219
तुम शराब पीकर भी,
होश-मंद रहते हो l
जाने क्यूँ मुझे ऐसी,
मय-कशी नहीं आई ll
सलाम मछलीशहरी

6220
अख़ीर वक़्त हैं,
किस मुँहसे जाऊँ मस्जिदको...
तमाम उम्र तो गुज़री,
शराब-ख़ानेमें.......
                            हफ़ीज़ जौनपुरी

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