6216
तुम्हारी याद निकलती नहीं,
मिरे दिलसे...
नशा छलकता नहीं हैं,
शराबसे बाहर.......!
फ़हीम शनास काज़मी
6217
मुझतक उस महफ़िलमें,
फिर जाम-ए-शराब आनेको
हैं;
उम्र-ए-रफ़्ता
पलटी आती हैं,
शबाब आनेको हैं.......ll
फ़ानी बदायुनी
6218
सस्ती मेरे शहरमें,
शराब हुई हैं...
जबसे आपकी आँखें,
बेनक़ाब हुई हैं.......!
6219
तुम शराब पीकर
भी,
होश-मंद रहते
हो l
जाने क्यूँ मुझे ऐसी,
मय-कशी नहीं
आई ll
सलाम मछलीशहरी
6220
अख़ीर वक़्त हैं,
किस मुँहसे जाऊँ मस्जिदको...
तमाम उम्र तो गुज़री,
शराब-ख़ानेमें.......
हफ़ीज़ जौनपुरी
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