17 June 2020

6036 - 6040 दिल उमंग चमक तड़प क़फ़स तरकीब ज़ंजीर आशियाँ बिजली शायरी


6036
उट्ठा जो अब्र,
दिलकी उमंगें चमक उठीं...
लहराईं बिजलियाँ तो,
मैं लहराके पी गया.......
                      एहसान दानिश

6037
तड़प जाता हूँ जब,
बिजली चमकती देख लेता हूँ l
कि इससे मिलता-जुलतासा,
किसीका मुस्कुराना हैं ll
ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी

6038
क़फ़सकी तीलियोंमें,
जाने क्या तरकीब रक्खी हैं...
कि हर बिजली,
क़रीब--आशियाँ मालूम होती हैं...!
                         सीमाब अकबराबादी

6039
ये अब्र हैं या,
फ़ील-ए-सियह-मस्त हैं साक़ी...
बिजलीके जो हैं पाँवमें,
ज़ंजीर हवा पर.......
शाह नसीर

6040
ज़ब्त--नालासे,
आज काम लिया...
गिरती बिजलीको,
मैं ने थाम लिया...!!!
        जलील मानिकपूरी

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