5971
तेरे ख्यालमें डूबके,
अक्सर.......
अच्छी लगी तन्हाई...!
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ऐसा कम ही
होता हैं,
जब सूरज तो
हैं पर रोशनी
नहीं;
चाँद तो हैं
पर चाँदनी नहीं,
ऐसा कम ही
होता हैं,
वो तो हैं
पर तन्हाई भी ll
5973
जला हुआ जंगल,
छुपकर रोता रहा
तन्हाईमें...
लकड़ी उसीकी थी,
उस दियासलाईमें.......
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क़ैद मंजूर हैं,
तेरे इश्क़की मुझको...
आज़ाद तन्हाई मग़र,
सही नहीं जाती.......
5975
सारा ही शहर
उसके,
जनाजेमें
था शरीक...
तन्हाईयोंके
खौफसे जो,
शख्स मर गया.......!
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