29 June 2020

6091 - 6095 खबर मतलब जरूरत असर आराम कफस वक्त बहार नशेमन शायरी


6091
तुझे ताइरे-शाखेनशेमन,
क्या खबर इसकी...
कमी सैयादको भी,
बागबाँ कहना ही पड़ता हैं...
                       जगन्नाथ आजाद

6092
निशेमन जलनेका,
हम क्यों असर लें...
मिला जब वक्त फिर,
तामीर कर लेंगे.......

6093
बस बहार तेरी,
अब जरूरत नहीं रही...
बुलबुलने कर दिया हैं,
निशेमन सुपूर्दे-जाग...

6094
कफसमें खींच ले जाये मुकद्दर,
या नशेमनमें...
हमें परवाजे-मतलब हैं,
हवा कोई भी चलती हो.....
सीमाब अकबराबादी

6095
तीर कमां में हैं,
सैयाद कमीं में...
गोशेमें कफसके मुझे,
आराम बहुत हैं.......!
                   मिर्जा गालिब

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