2 June 2020

5956 - 5960 दिल इश्क़ जिंदगी ज़ख्म हुनर किरदार शुक्र जज्बात सनम तलाश शायरी



5956
जिंदगीमें कभी भी अपने,
किसी हुनरपें घमंड मत करना;
क्यूँकी पत्थर जब पानीमें गिरता हैं,
तो अपने ही वजनसे डूब जाता हैं|

5957
मुझे हर किसीको,
अपना बनानेका हुनर आता हैं...
तभी मेरे बदनपर रोज़,
एक घाव नया नज़र आता हैं...!

5958
मुमकिन हैं मेरे किरदारमें,
बहुतसी कमीयाँ होगी;
पर शुक्र हैं किसी जज्बातसे खेलनेका,
हुनर नहीं आया.......!

5959
ज़ख्म छुपाना भी,
एक हुनर हैं वरना...
यहाँ हर एक मुट्ठीमें,
नमक हैं.......

5960
सनम इश्क़का हुनर,
क्या बखूबी दिखाते हो...!
दिल खुद चुराते हो और,
चोर हमें बताते हो.......!!!

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