5956
जिंदगीमें
कभी भी अपने,
किसी हुनरपें घमंड मत
करना;
क्यूँकी
पत्थर जब पानीमें
गिरता हैं,
तो अपने ही
वजनसे डूब जाता
हैं|
5957
मुझे हर किसीको,
अपना बनानेका हुनर आता
हैं...
तभी मेरे बदनपर
रोज़,
एक घाव नया
नज़र आता हैं...!
5958
मुमकिन हैं मेरे
किरदारमें,
बहुतसी कमीयाँ होगी;
पर शुक्र हैं किसी
जज्बातसे खेलनेका,
हुनर नहीं आया.......!
5959
ज़ख्म क़हाँ क़हाँसे
मिले हैं,
छोड़ इन बातोंक़ो...
ज़िंदग़ी तू तो ये
बता,
सफर क़ितना बाक़ी हैं....
सनम इश्क़का हुनर,
क्या बखूबी दिखाते हो...!
दिल खुद चुराते
हो और,
चोर हमें बताते
हो.......!!!
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