27 June 2020

6086 - 6090 दिल साथ आशियाना गुलशन फैसला बर्बाद उम्मीद बहार काबिल कफस नशेमन शायरी


6086
असीरोंके हकमें,
यही फैसला हैं;
कफसको समझते रहें,
आशियाना ll
            दिल शाहजहांपुरी

6087
खलिशने दिलको मेरे,
कुछ मजा दिया ऐसा...
कि जमा करता हूँ खार,
आशियानोंके लिये.......
त्रिलोकचन्द महरूम

6088
तुम्हारे साथ मरेंगे,
जो हमसे कहते थे...
उठाके ले गए गुलशनसे,
आशियानेको.......
                 महशर हमरोही

6089
न खतरा हैं खिजाँका,
न उम्मीदे–बहारे–गुल...
नशेमनमें कफस जैसी,
फरागत हो नहीं सकती...
अलम मुजफ्फरनगरी

6090
अदू सैयाद--गुलचीं,
क्यों हुए मेरे नशेमनके...
ये तिनके भी हैं इस काबिल,
जिन्हें बर्बाद करते हैं.......
                     साकिब लखनवी

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