15 June 2020

6026 - 6030 दिल याद दुख उम्र दीवार दीवाना ज़ख़्म राह बादल बरसात बारिश शायरी


6026
क्यूँ माँग रहें हो,
किसी बारिशकी दुआएँ...
तुम अपने शिकस्ता,
दर--दीवार तो देखो.......
                      जाज़िब क़ुरैशी

6027
कच्चे मकान जितने थे,
बारिशमें बह गए;
वर्ना जो मेरा दुख था,
वो दुख उम्रभर का था...
अख़्तर होशियारपुरी

6028
हमसे पूछो,
मिज़ाज बारिशका...
हम जो कच्चे मकानवाले हैं...!
                       अशफ़ाक़ अंजुम

6029
कैफ़ परदेसमें
मत याद करो अपना मकाँ...
अब के बारिशने,
उसे तोड़ गिराया होगा...
कैफ़ भोपाली

6030
बरसातका बादल तो,
दीवाना हैं क्या जाने...
किस राहसे बचना हैं,
किस छतको भिगोना हैं...
                    निदा फ़ाज़ली

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