25 June 2020

6076 - 6080 शोला कोशिश चमन खौफ बहार हिफाजत होशियार गुलशन शायरी


6076
मेरा अज्म इतना बुलन्द हैं,
मुझे पराये शोलोंका डर नहीं;
मुझे खौफ आतशे-गुलसे हैं,
कहीं ये चमनको जला दें...
                       शकील बदायुनी

6077
कभी शाखे-सब्जा-ओ-बर्गपर,
कभी गुंचा-ओ-गुलो-खारपर...
मैं चमनमें चाहे जहाँ रहूँ,
मुझे हक हैं फस्ले–बहार पर...
जिगर मुरादाबादी

6078
गुलचींने तो कोशिश कर डाली,
सूनी हो चमनकी हर डाली,
कांटोंने मुबारक काम किया,
फूलोंकी हिफाजत कर बैठे ll
                             शकील बदायुनी

6079
बुलबुलो-गुल पै जो गुजरी,
हमको उससे क्या गरज...
हम तो गुलशनमें फकत,
रंगे-चमन देखा किए.......
असगर गौण्डवी

6080
बुलबुले-नादाँ जरा,
रंगे-चमनसे होशियार...
फूलकी सूरत बनाए,
सैकड़ों सैयाद हैं.......
      आनन्द नारायण मुल्ला

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