2786
अल्फ़ाज़के कुछ तो,
कंकर फ़ेंको यारो...
यहाँ दिलकी
झीलमें,
गहरी
ख़ामोशी हैं...।
2787
रख हौंसला वो मंज़र
भी आएगा,
प्यासेके पास
चलके समंदर
भी आएगा,
थक कर न
बैठ ऐ मंज़िलके मुसाफ़िर...
मंज़िल भी मिलेगी, मिलनेका मज़ा
भी आएगा !!!
2788
मैं अक्सर ग़मज़दा लोगोंको,
हँसा देता
हूँ,
मुझसे कोई मुझसा,
देखा नहीं जाता.......
2789
मुद्दतें
हो गयी
कोई
शख्स तो अब,
ऐसा मिले फ़राज़।
बाहरसे जो
दिखता हो,
अंदर भी वैसा
ही मिले...!
2790
खुशबू बनूं तेरी
रूहकी,
महका दे तू
मुझे l
खो जाऊँ मैं
तुझमें,
अपनाले तू मुझे
ll