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5 December 2021

7936 - 7940 दिल इश्क़ तन्हा बेचैन अज़ीब क़सक़ महफ़िल सुबह शाम रात बेताबी शायरी

 

7936
एक अज़ीबसी बेताबी हैं,
तेरे बिना...
रह भी लेते हैं और,
रहा भी नहीं ज़ाता.......!

7937
दिलक़ी बेताबी,
नहीं ठहरने देती हैं मुझे...l
दिन क़हीं, रात क़हीं,
सुबह क़हीं, शाम क़हीं...ll
नज़ीर अक़बराबादी

7938
बेताबी क़्या होती हैं,
पूछो मेरे दिलसे...
तन्हा तन्हा लौटा हूँ,
मै तो भरी महफ़िलसे.......

7939
इश्क़में बेताबीक़ी,
इंतिहा हुई...
दिल बेचैन हो रहा हैं,
पल पल.......

7940
बेताबी अभी,
हदसे ग़ुज़री नहीं, शायद !
एक़ क़सक़सी हैं,
ज़ो सोने नहीं देती...!!!