7936
एक अज़ीबसी बेताबी हैं,
तेरे बिना...
रह भी लेते हैं और,
रहा भी नहीं ज़ाता.......!
7937दिलक़ी बेताबी,नहीं ठहरने देती हैं मुझे...lदिन क़हीं, रात क़हीं,सुबह क़हीं, शाम क़हीं...llनज़ीर अक़बराबादी
7938
बेताबी क़्या होती हैं,
पूछो मेरे दिलसे...
तन्हा तन्हा लौटा हूँ,
मै तो भरी महफ़िलसे.......
7939इश्क़में बेताबीक़ी,इंतिहा हुई...दिल बेचैन हो रहा हैं,पल पल.......
7940
बेताबी अभी,
हदसे ग़ुज़री नहीं, शायद !
एक़ क़सक़सी हैं,
ज़ो सोने नहीं देती...!!!
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