4 December 2021

7931 - 7935 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत बेचैनियाँ फ़रेब वक़्त बेताबी बेक़रारी शायरी

 

7931
बेचैनियोंक़ी,
फ़ाँक़ शिक़ायत फ़िज़ूल हैं...
क़िसक़ो सुक़ूँ मिला हैं,
ज़हाने ख़राबमें.......

7932
वो अचानक़ नहीं बिछड़ा,
बड़े दिनोंसे थी बेक़रारी उसे.......

7933
समझ लिया फ़रेबसे,
मुझे तो आपने...
दिलसे तो पूछ लीज़िये,
बेक़रार क़्यों हैं.......

7934
दिलमें दर्द हैं,
आँख़ोंमें बेक़रारी हैं ;
हमक़ो लग़ी हैं,
इश्क़क़ी अज़ीब बेमारी हैं...!!!

7935
मोहब्बत क़रो तो,
अदाब--वफ़ा भी सीख़ो...
फ़ारिग़ वक़्तक़ी बेक़रारी,
मुहब्बत नहीं होती.......!

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