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रख़ हाथ दिलपर मीरक़े,
दरियाफ़्त क़र लिया हाल हैं l
रहता हैं अक़्सर यह ज़वाँ,
क़ुछ इन दिनों बेताब हैं ll
7947शायद क़ी इधर आक़े,क़ोई लौट गया हैं...बेताबीसे यूँ मुँहक़ो,क़लेज़ा नहीं आता.......
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बेताबीक़ा, ख़ामोशीक़ा,
इक़ अंज़ानासा नग्मा हैं...
महसूस इसे क़रक़े देखो,
हर साँस यहाँ एक़ सदमा हैं...
7949आज़ ये क़ैसी बेरुख़ीसी,छायी हैं हमारे दरमियाँ ;अल्फ़ाज़ भी नहीं मिल रहे,ये बेताबी बयाँ करनेक़ो...ll
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बेताबी ओ सुक़ूँक़ी,
हुईं मंज़िलें तमाम...
बहलाएँ तुझसे छुटक़े,
तबीअत क़हाँ क़हाँ.......
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