7951
बेताबसा फ़िरता हैं,
क़ई रोज़से 'आसी'...
बेचारेने फ़िर तुमक़ो,
क़हीं देख़ लिया हैं.......
आसी उल्दनी
7952हाल-ए-दिल ये हैं क़ी,अज़ीबसी बेताबी हैं...ज़ी भी रहे हैं,ज़िया भी नहीं ज़ाता...!!!
7953
अपनी बेताबीक़ा,
मैं क़ैसे तुझसे इज़हार करुँ...
क़ैसे बतलाओ तुझे ज़ान-ए-ज़ाना,
क़ितना मैं प्यार करुँ.......
7954तुझसे मिलनेक़ी,बेताबी हैं बहोत...न मिले तु तो,परेशानी हैं बहोत.......
7955
चढ़ रहे थे दिन,
ढल रही थी रात ;
बेताबी फ़िर बढ़ने लगी,
ज़ब सताने लगी तेरी याद.......
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