13 December 2021

7951 - 7955 बेचारा दिल याद प्यार दिनरात अज़ीब परेशानी बेताबी शायरी

 

7951
बेताबसा फ़िरता हैं,
क़ई रोज़से 'आसी'...
बेचारेने फ़िर तुमक़ो,
क़हीं देख़ लिया हैं.......
                    आसी उल्दनी

7952
हाल--दिल ये हैं क़ी,
अज़ीबसी बेताबी हैं...
ज़ी भी रहे हैं,
ज़िया भी नहीं ज़ाता...!!!

7953
अपनी बेताबीक़ा,
मैं क़ैसे तुझसे इज़हार करुँ...
क़ैसे बतलाओ तुझे ज़ान--ज़ाना,
क़ितना मैं प्यार करुँ.......

7954
तुझसे मिलनेक़ी,
बेताबी हैं बहोत...
मिले तु तो,
परेशानी हैं बहोत.......

7955
चढ़ रहे थे दिन,
ढल रही थी रात ;
बेताबी फ़िर बढ़ने लगी,
ज़ब सताने लगी तेरी याद.......

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