5241
ये ,
ये ज़माने का
डर...
रुलाएगी
मुझे बहुत,
तेरी
याद उमर भर...
5242
टूटे हुए दिल
भी,
धड़कते है
उम्र भर...
चाहे किसी की
यादमें,
या
फिर किसी फ़रियादमें...
5243
खुदको समेटके,
खुदमें सिमट
जाते हैं हम...
एक याद उसकी
आती है,
फिरसे बिखर
जाते हैं हम...
5244
कह दो ना
इस दर्दको,
तुम्हारी
तरह बन जाये...
ना मुझे याद
करें,
और ना मेरे
करीब आये...
5245
जलने वाले की
दूआसे ही,
सारी बरकत हैं...
वरना अपना कहने
वाले तो,
याद भी नही
करते.......