27 December 2019

5241 - 5245 दिल कसमें रस्में फ़रियाद सिमट बिखर दर्द बरकत याद शायरी


5241
ये ,
ये ज़माने का डर...
रुलाएगी मुझे बहुत,
तेरी याद उमर भर...

5242
टूटे हुए दिल भी,
धड़कते है उम्र भर...     
चाहे किसी की यादमें,
या फिर किसी फ़रियादमें...

5243
खुदको समेटके,
खुदमें सिमट जाते हैं हम...
एक याद उसकी आती है,
फिरसे बिखर जाते हैं हम...

5244
कह दो ना इस दर्दको,
तुम्हारी तरह बन जाये...
ना मुझे याद करें,
और ना मेरे करीब आये...

5245
जलने वाले की दूआसे ही,
सारी बरकत हैं...
वरना अपना कहने वाले तो,
याद भी नही करते.......

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