5166
कौन कहता है
कि,
हम झूठ
नही बोलते;
एक बार,
खैरियत
तो पूछके
देखिये...!
5167
झूठ कहते हैं
कि,
संगतका
असर होता है...
आज तक ना
काँटोंको,
महकनेका सलीका आया,
और ना फूलोंको चुभना आया
5168
अब शिकायते तुम से
नहीँ,
खुदसे है...
माना
के सारे झूठ
तेरे थे,
लेकिन उन पर
यकिन तो मेरा
था...
5169
आँखे झूठ, नजारा
झूठ,
यानी जो
है वो सारा
झूठ...
हमको आज कहो
फ़िर अपना,
बोलो
आज दुबारा झूठ......!
5170
झूठ कहूँ तो,
लफ़्ज़ोंका दम
घुटता है...
सच कहूँ तो,
लोग खफा हो
जाते हैं.......!
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