5151
हिचकीयाँ दिलाकर,
ये कैसी उलझन
बढा रहे हो...
आँखे बंद है,
फिर भी नजर
आ रहे हो.......!
5152
सुबह होते ही,
जब दुनिया आबाद
होती है;
आँख खुलते ही,
आपकी
याद आती है...!
5153
रो लेते हैं
कभी कभी ताकि,
आँसुओं को भी
कोई शिकायत ना
रहे !!!
5154
लिखना था की,
खुश हूँ तेरे
बिना, पर...
आँसू ही गिर
पड़े आँखोंसे
लिखनेसे पहले.......!
5155
कैसे बयान करे
आलम दिलकी
बेबसीका,
वो क्या समझे
दर्द आँखोंकी
नमीका;
उनके चाहने वाले इतने
हो गये की,
उन्हे एहसास नहीं हमारी
कमीका...
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