16 December 2019

5186 - 5190 सुकून ताल्लुक साजिश मसरूफ तोहफ़े रिश्ते बाते समय वक़्त शायरी


5186
तु मिले, ना मिले,
वक़्तकी बात है...
सुकून बहोत मिलता है,
तुम्हे सोचकर.......!

5187
ना कमजोर हुआ मेरा तुमसे ताल्लुक,
ना कही और हुए सिलसिले मजबूत...
ये वक़्तकी साजिश है;
कभी तुम मसरूफ, तो कभी हम मसरूफ...

5188
मुझे महँगे तोहफ़े बहुत पसंद है...
अगली बार यूँ करना...
ज़रासा वक़्त ले आना.......!

5189
किसी रिश्तेमें निखार,
सिर्फ अच्छे समयमें हाथ मिलानेसे नहीं आता;
बल्कि...
नाज़ुक समयमें हाथ थामनेसे आता है...!

5190
सच्चाई के इस जंगमें,
कभी झूठे भी जीत जाते है...
समय अपना अच्छा हो तो,
कभी अपने भी बिक जाते है...

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