15 December 2019

5181 - 5185 हालात जिदंगी परख ज़ुर्रत चेहरे याद दुनिया नफरत वक़्त शायरी


5181
हालात है, वक़्त है,
या खुदा है.......
ये रह-रह के मुझे,
परखता कौन हैं...?

5182
करो ज़ुर्रत,
किसीके वक़्तपर हंसनेकी...
ये वक़्त है जनाब,
चेहरे याद रखता है...

5183
मैने वक़्तसे दोस्ती कर ली...
सुना है, ये अच्छे अच्छोंको
बदल देता है.......

5184
किसीने पूछा,
इस दुनियामें आपका अपना कौन हैं
मैने हंसकर कहा "वक़्त"

5185
रिश्ते निभानेके लिए,
जिदंगी छोटी पड जाती है...
पर पता नही कूछ लोग नफरतके लिए,
कैसे वक़्त निकाल लेते है.......!

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