28 December 2019

5251 - 5255 प्यार रिश्ता दिल दर्द साँस धड़कन कत्ल वक़्त सबूत तलाश इबादत याद शायरी


5251
ऐसा भी क्या,
रिश्ता हैं तुमसे...
दर्द कोई भी हो,
याद तुम्हारी ही आती है...!

5252
उनकी याद आयी है,
साँसों जरा धीरे चलो...
धड़कनों से भी इबादतमें,
खलल पड़ता है.......

5253
मेरे कत्लमें,
जब सबूतोंकी तलाश हुई...
मौका--वारदात पर,
बरामद तेरी याद हुई...!

5254
सिर्फ याद बनकर,
रह जाये प्यार मेरा...
कभी कभी कुछ वक़्तके लिए,
आया करो.......

5255
तुम्हें भूलने कि जिदमें,
खुद को भूल गया हूँ...
कहाँ मुमकिन - तू याद आये,
और मैं रो दूँ.......

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