11 December 2019

5161 - 5165 प्यार इश्क मोहब्बत ज़िन्दगी राहत अदब नफरतें महफ़िल तमन्ना हंसी शायरी


5161
इश्क करने चला है,
तो कुछ अदब भी सीख लेना;
इसमें हँसते साथ है,
पर रोना अकेले ही पड़ता है...

5162
नफरतें लाख मिलीं, पर मोहब्बत मिली;
ज़िन्दगी बीत गयी, मगर राहत मिली;
तेरी महफ़िलमें, हर एकको हँसता देखा,
एक मैं था जिसे, हँसनेकी इजाज़त मिली...

5163
शामको तेरा हँसके मिलना,
दिन भरकी तनख्वाह है मेरी...!

5164
प्यारसे कहो तो आसमान मांग लो, 
रूठ कर कहो तो मुस्कान मांग लो;
तमन्ना यही है कि यारी मत तोड़ना,
फिर चाहें हँसकर हमारी जान मांग लो...

5165
यूँ ही अपने होंठोंको,
झूठी हंसीसे संभाल लेता हूँ...
अंदरसे इतना टूटा हूँ,
फिरभी खुदपे पर्दा डाल लेता हूँ...

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