18 December 2019

5196 - 5200 बेवजह बेहिसाब दुश्मन बुराई रिश्ते मुकाबला जवाब लिबास शौक़ कफ़न वक़्त शायरी


5196
बेवक़्त, ...
मुस्कुरा देता हूँ;
आधे दुश्मनो को तो,
यूँ ही हरा देता हूँ.......!

5197
खुदकी तरक्कीमें इतना,
समय लगा दो...
की किसीकी बुराई,
का क़्त ही ना मिले...!

5198
अगर वो याद नही करते,
तो आप कर लीजिए...
रिश्ते निभाते वक़्त,
मुकाबला नही किया जाता...!

5199
जब वक़्त जवाब देता है...
गवाहो की जरूरत नहीं होती है...

5200
जो लिबासोको बदलनेका,
शौक़ रखते थे कभी
आख़री वक़्त कह पाए कि,
ये कफ़न ठीक नही ।।

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