1 December 2019

5116 - 5120 ज़िंन्दगी इरादे आँखे दुवा दस्तक आवाज़ दु:ख खुशी शायरी


5116
ज़िंन्दगी,
तू खेलती बहुत है खुशियों से...
हम भी इरादेके पक्के हैं,
मुस्कुराना नहीं छोडेंगे...!

5117
आँख खुलते ही,
याद जाता हैं तेरा चेहरा...
दिनकी ये पहली खुशी भी,
कमाल होती है.......!

5118
जो लोग दुसरोंको,
अपनी दुवाओंमे शामिल करते है...
खुशीयाँ सबसे पहले,
उनके दरवाजेपर दस्तक देती है...!

5119
बहुत खास होते हैं वो लोग,
जो आपकी आवाज़से...
आपकी खुशी और दु:खका,
अंदाज़ा लगा लेते हैं.......!

5120
कल खुशी मिली थी...
जल्दीमॆं थी,
रूकी नही.......
                      गुलजार

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