8 December 2019

5146 - 5150 हालात फ़रियाद ज़माना मंजर खयाल लब ज़िगर निगाहें शायरी


5146
सुरमे की तरह पीसा है,
हमें हालातोंने...
तब जा के चढ़े है,
लोगोंकी निगाहोंमें.......

5147
फ़रियाद कर रही है,
तरसती हुई निगाहें...
देखे हुए किसीको,
ज़माना गुज़र गया...!

5148
निगाहें आज भी टकटकी लगाये है,
उस मंजर पर.......
जहाँ तुमने कहाँ,
रूको, हम लौटकर आते है...!

5149
निगाहोंसे,
कितना दूर करोगे...
खयालोंसे दूर करो,
तो मान लूँ.......!

5150
लब थरथराके रह गए,
लेकिन वो, ' ज़िगर'...
जाते हुए भी,
निगाह मिलाकर चले गए.......!

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