3066
प्यासक़ो एक़ क़तरा पानी क़ाफ़ी हैं,
इश्क़में चार पलक़ी ज़िंदग़ी क़ाफ़ी हैं,
डूबनेक़ो समंदरमें ज़ाएं क़हां
उनक़ी पलकोंसे टपक़ा वो पानी क़ाफ़ी हैं।।
3067
ख़टख़टाते रहिए दरवाज़ा...
एक़ दूसरेक़े मन क़ा;
मुलाक़ातें ना सहीं,
आहटें आती रहनी चाहिए !!
3068
हर पतंग जानती हैं ।
अंतमें कचरेमें जाना हैं ।
लेकिन उसके पहले हमे...
आसमान छूकर जाना हैं।
" बस ज़िंदग़ी भी यहीं चाहती हैं !"
आसमान छूकर जाना हैं।
" बस ज़िंदग़ी भी यहीं चाहती हैं !"
3069
मैं अब भी बाजारसे,
अक्सर खाली हाथ लौट आता हूँ;
पहले पैसे नहीं थे,
अब ख्वाहिशें नहीं रही.......!
3070
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
उम्रके साथ...
बस, बचपनकी जिद...
समझौतोंमें बदल जाती हैं ।।