26 July 2018

3066 - 3070 दिल होठ ख्वाहिश उम्र आसमान जिंदगी बाजार समझौता अल्फाज इन्सान अखबार शायरी


3066
सूखे होठोंसे ही,
होती हैं मीठी बातें...
प्यास बुझ जाये तो,
अल्फाज और इन्सान दोनों बदल जाते हैं...

3067
भूलकर भी अपने दिलकी बात,
किसीसे मत कहना;
यहाँ कागज भी जरासी देरमें,
अखबार बन जाता हैं

3068
हर पतंग जानती हैं ।
अंतमें कचरेमें जाना हैं ।
लेकिन उसके पहले हमे...
आसमान छूकर जाना हैं।
" बस जिंदगी भी यहीं चाहती हैं !"

3069
मैं अब भी बाजारसे,
अक्सर खाली हाथ लौट आता हूँ;
पहले पैसे नहीं थे,
अब ख्वाहिशें नहीं रही.......!

3070
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
उम्रके साथ...
बस, बचपनकी जिद...
समझौतोंमें बदल जाती हैं ।।

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