3031
एक अजीब सी
"बंदिश" हैं,
दोस्तोंके प्यारमें;
ना उन्होंने कभी कैदमें रखा...
और ना हम कभी
फरार हो पाए...!
3032
शिकायतोंकी पाई पाई,
जोड़कर रखी
थी मैंने।
दोस्तोंने गले लगाकर,
सारा हिसाब बिगाड़ दिया।।
3033
जीनेकी नयी
अदा दी हैं,
खुश रहनेकी
उसने दुआ दी
हैं,
ऐ खुदा, मेरे
दोस्तोंको सलामत
रखना,
जिसने अपने दिलमें मुझे जगह
दी हैं l
3034
ताउम्र बस,
एक
ही सबक याद
रखिये...
"दोस्ती"
और "इबादत" में,
नीयत
साफ़ रखिये.......!
3035
दुश्मनी
जमकर करो,
लेकिन ये गुंजाइश
रहें...
जब कभी हम
दोस्त हो जाएँ,
तो शर्मिंदा न
हों.......!
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