22 July 2018

3046 - 3050 जमाने शुक्रिया शिक़ायत एहसास गुनाह शिक़ायतें हिचकियॉं पत्थर क़त्ल गम बात शायरी


3046
दिलमें आप हो और कोई खास कैसे होगा;
यादोंमें आपके सिवा कोई पास कैसे होगा;
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो;
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।

3047
गुनाह क़ुछ हमसे हो गए,
यूँ अनज़ानेमें...
फूलोंक़ा क़त्ल क़र दिया,
पत्थरोंक़ो मनानेमें......


3048
बहोत अंदर तक़,
ज़ला देती हैं...
वो शिक़ायतें,
ज़ो बया नहीं होती ll
                           ग़ुलज़ार


3049
वो जो कहती थी के
तू न मिला तो मर जाएंगे हम...
वो आज भी ज़िंदा हैं
ये बात किसी औरसे कहनेके लिए...

3050
गम मिलते हैं तो,
और निखरती हैं शायरी...
यह बात हैं तो,
सारे जमानेका शुक्रिया.......!

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