3061
हर छलकती बोतल शराब
नहीं होती,
हर
खिलती हुई कलि
गुलाब नहीं होती।
चाहते तो ताजमहल
हम भी बनवा
देते लेकिन...
हर
एक लड़की मुमताज
नहीं होती।।
3062
वो बर्फ़का शरीफ
टुकड़ा,
जाममें
क्या गिरा...
धीरे धीरे, खुद-ब-खुद,
शराब
हो गया.......!
3063
ए खुदा, आज
ये फ़ैसला कर दे,
उसे मेरा... या
मुझे उसका कर दे।
बहुत दुख सहे
हैं मैने,
कोई
ख़ुशी अब तो
मुक़दर कर दे।
बहुत मुश्किल लगता हैं,
उससे दूर रहना...
जुदाईके सफ़रको कम कर दे।
नही लिखा अगर
नसीबमें उसका
नाम,
तो मुझे
फ़ना कर दे.......।।
3064
ज़रासी रंजिशपें,
न छोड़ो
वफ़ाका दामन,
उमरें बीत जाती
हैं,
दिलोके
रिश्ते बनानेमें...
3065
इश्क और तबियतका,
कोई भरोसा
नहीं;
मिजाजसे दोनों
ही,
दगाबाज हैं
जनाब.......
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