11 July 2018

3001 - 3005 आँख पलक कफन दफन खामोश चहेरे खयाल नजर सवाल जवाब लफ्ज अलफाज कागज किताब बेमान कहानी शायरी


3001
अच्छा हैं आँखोंपर,
पलकोंका कफन हैं...
वरना तो इन आँखोंमें,
बहुत कुछ दफन हैं.......

3002
हम पूछ तो लेंगे,
की वो खामोश क्यूँ हैं...
पहेले मेरे दिलको दिलकी बात तो बतादे वो...
खामोशीसेही सही.......!

3003
मसखरेसे पूछा गया सवाल की,
" चहेरेपें नकाब क्यो लगाते हो... "
क्या खूब जवाब था उसका:
" लगाते तो सब हैं...
बस मेरा नजर आता हैं.......। "

3004
बिन बुलाये जाता हैं,
सवाल नहीं करता...
ये खयाल भी किसीका,
खयाल नहीं करता.......

3005
"लफ्ज, अलफाज, कागज, किताब...
सब बेमानी हैं,
तुम कहते रहो हम सुनते रहें,
बस इतनीसी कहानी हैं.......

No comments:

Post a Comment