22 July 2018

3051 - 3055 दिल मोहब्बत वफ़ा क़सूर क़रीब नज़र दर्द दूर महफील तलाश ज़ुर्म यार बात शायरी


3051
ये मेरी तलाशक़ा ज़ुर्म हैं,
या मेरी वफ़ाक़ा क़सूर हैं...
ज़ो दिलक़े ज़ितने क़रीब हैं,
वो नज़रसे उतना हीं दूर हैं !!!

3052
लगती हैं बोलीया जहाँ,
दर्दकी यारों...
हम उसे.......
महफील कहते हैं !!!

3053
मोहब्बत आज भी करते हैं,
एक दूसरेसे.......
मना वो भी नहीं करते; और
बयाँ हम भी नहीं करते...!!!

3054
अब मरते नहीं,
तो क्या करते यारो...
वो ज़ोरसे गले लगकर...
मेरे कान में धीरे से बोली,
"अगले जन्ममें तो पक्की तेरी..."

3055
मोहब्बत सिर्फ देखने,
या मिलनेसे नहीं होती,
कभी कभी.......
बातोंसे भी हो जाती हैं...!!!

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