16 July 2018

3021 - 3025 प्यार गुस्सा साजिश रूठ दफ़न आँख आखरी वसीयत कमाल जलन महफिल चर्चे शायरी


3021
उनको गुस्सा दिलाना भी,
एक साजिश हैं मेरी...
उनका रूठकर मुझपर यूँ हक जताना,
बडा प्यारासा लगता हैं.......!

3022
दफ़न कर देना मुझे,
उनकी आँखोंमें...
यूँ समझो ये मेरी,
आखरी वसीयत हैं.......।

3023
मयख़ाने से बढ़कर,
कोई ज़मीन नहीं;
जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं,
ज़मीर नहीं.......!

3024
हमसे ना पूछो,
जिन्दगी की हक़ीक़त,
अपनोकी शिकायत करना,
हमे अच्छा नही लगता.......!

3025
कमाल करते हैं,
हमसे जलन रखने वाले;
महफिले तो खुदकी सजाते हैं,
पर चर्चे हमारे करते हैं.......!

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