2971
जिंदगी जीता हूँ
खुली किताबकी
तरह,
ना कोई
फरेब ना कोई
लालच...
मगर मैं हर
"बाजी" खेलता हूँ,
"बिना
देखे" क्योंकि,
ना मुझे
हारनेका गम,
ना जीतनेका
जशन.......
2972
दिलके दर्द छुपाना
बड़ा मुश्किल हैं,
टूटकर फिर
मुस्कुराना बड़ा मुश्किल
हैं;
किसी अपनेके
साथ दूरतक
जाओ फिर देखो,
अकेले लौटकर
आना कितना मुश्किल
हैं।
2973
जलाए जो चिराग,
तो अंधेरे बुरा
मान बैठे;
छोटीसी जिंदगी
हैं, साहब...
किस किसको मनाएंगे हम...
2974
माना कि औरोंके मुकाबले,
कुछ
ज्यादा पाया नहीं
मैने;
पर खुश हूँ
कि स्वयंको
गिराकर,
कुछ उठाया
नहीं मैंने.......!
2975
अपनी पीठसे
निकले खंजरोंको,
गिना जब मैने...
ठीक उतने ही
थे जितनोंको,
गले लगाया था
मैने.......
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