10 July 2018

2996 - 3000 दिल मोहब्बत आँख मैखाने दुनियाँ लफ्ज उस्ताद जवाब सवाल गुलाब ज़र्रा जाहिल शायरी


2996
मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा,
उसकी आँखोंके मैखानेमें;
दुनियाँ मुझे आज तक...
नशेका आदि समझती हैं

2997
लफ्ज़ोंके हेर फेरका,
धन्दा भी ख़ूब हैं;
जाहिल हमारे शहरके,
उस्ताद हो गऐ...!

2998
मोहब्बत तो,
जीना सिखाती हैं, जनाब...
और ना मिले तो,
पीना सिखाती हैं.......!

2999
दिल तेरे.......
किस-किस सवालका जवाब दें...
बेहतर यही होगा,
तुझे अब सीनेसे निकाल दें.......

3000
कभी तो मिल तू मुझे...
किसी गुलाब सा,
मैं भँवरेसी तुझे,
ज़र्रा ज़र्रा ढूंढती हूँ...

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