19 July 2018

3036 - 3040 इश्क इन्तजार वक़्त मौसम आँसू नजरअंदाज वजह शायरी


3036
सुना हैं, वो कह कर गये हैं,
के अब तो हम,
सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबोमें ही आएँगे;
कोई कह दे उनसे की वो,
वादा कर ले हमसे,
ज़िंदगीभर के लिए हम सो जाएँगे...!

3037
कितना मासूम था उनका,
बात करनेका लहज़ा...!
धीरेसे 'जान' कहके,
और 'बेजान' कर दिया.......!

3038
ठहर जाते तो शायद,
मिल जाते हम तुम्हें...
इश्कमें इन्तजार किया करते हैं,
जल्दबाजी नहीं.......!

3039
हम हवा नहीं जो खो जाएँगे,
वक़्त नहीं जो गुज़र जाएँगे,
हम मौसम नहीं जो बदल जाएँगे;
हम तो आँसू हैं जो खुशी और गम,
दोनोमें साथ निभाएँगे।

3040
नजरअंदाज करने कि
कुछ तो वजह बताई होती,
अब मैं कहाँ कहाँ
खुदमें बुराई ढूँढू …!

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