10041
दिलके आईनेमें हैं तस्वीर-ए-यार,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली...
लाला मौजी राम मौजी
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चुप-चाप सुनती रहती हैं,
पहरों शब-ए-फ़िराक़ ;
तस्वीर-ए-यारको हैं,
मिरी गुफ़्तुगू पसंद l
दाग़ देहलवी
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ज़िंदगीभरके लिए रूठके जानेवाले,
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ...
क़ैसर-उल जाफ़री
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आपने तस्वीर भेजी,
मैने देखी ग़ौरसे ;
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीकी अदा अच्छी नहीं...
जलील मानिकपूरी
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अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे,
मिरे अंदरसे सभी रंग तुम्हारे निकले...!
सालिम सलीम